मैं और मेरे साथ मेरे दोस्तों ने सोचा परिक्षा खत्म हो गयी कही घूमने
चलते है. सारे दोस्तों ने एक एक करके जगह के नाम बताये किसी ने कहा पूरी
चलेंगे किसी ने कहा गोवा किसी ने कहा शिरिडी पर हम गए वहा जिसका नाम किसी
ने नहीं लिया विशाखापट्टनम क्यों की वहाँ जाने के लिए बजट भी कम पड़ेगा और
हमारे लिए नई जगह भी है वो. तो हम सब निकल पड़े ट्रैन में एक रात का सफर था
और सुबह हम अपने अंजाम पर पहुंच जायंगे पर रात भर एक ई साल दिमाग में घूम
रहा था की वहाँ की भाषा अलग है और जगह भी कहीं हमें परेशानी ना हो बस यही
सोचते सोचते नींद लग ग यी और जब सुबह नींद खुली तब तक हम आंध्रा राष्ट्र
में पहुंच चुके थे एक घंटा और था हमें वैजाग ( विशाखापत्तनम) पहुचने में.
मैंने ट्रैन से बाहर नज़ारा देखा हर जगह बड़े बड़े पहाड़ और काफी रंगीन खेत थे
और बड़े बड़े नारियल के पेड़ जो की स्वाभाविक हर दक्षिण प्रांत में होता ही है
मुझे ये सब देखकर बड़ा अच्छा लगा फिर भी यही सोच थी की कैसे होंगे यहाँ के
लोग इसी सोच में थे स्टेशन आ गया काफी भीड़ थी स्टेशन में और स्टेशन भी बड़ा
था हम सब धीरे धीरे पहले प्लेटफार्म पे गए फिर वाह हमें वेटिंग हाल मिला
जहा सब यात्री नहा धू सकते है हम भी गए वहाँ पर सोच में थे की साफ़ सुथरा
होगा या नहीं पर हम गलत थे काफी सुविधाजनक था और साफ़ सुथरा भी हम सब जल्द
से जल्द फ्रेश हुए और सामान लाकर रूम में रख कर बाहर निकल पड़े. बाहर काफी
ऑटो वाले और टैक्सी वाले मौजूद थे और उनको सबको हिंदी अच्छे से आती थी हम
आधी जंग यही जीत गए काफी अच्छा लगा यहाँ सब हिंदी अच्छे से जानते है और
हमने ऑटो वाले से पुछा यहाँ एक मसहूर मंदिर है वहाँ ले चलो और वो वहाँ ले
गया.
वहाँ पहुचने के बाद पता चला मंदिर पहाड़ के ऊपर है और वहाँ के लिए हुमलोगो ने बस पकड़ ली और ऊपर चढ़ गए ऊपर पहुँचते ही ऐसा लगा हम पहाड़ पे नही किसिस छोटे से शेहेर में है और काफी साफ़ सुथरा हम समय खर्च न करते हुए मंदिर में भगवान का दर्शन कर आये और नीचे सीढ़ी से उत्तर गए और एक होटल में जा कर नाश्ता कर लिया वहा इडली डोसा काफी मसहूर है इसलिए हुमलोगो ने वही आर्डर किया और जैम कर खाए फिर वहाँ से हम बस स्टॉप पर गए और बीच जाने वाली बस पकड़ ली थोड़ा समुन्दर में मजे करने को और बस निकल पड़ी पूरा शहर के बीच से निकली काफी विकसित(डेवलप्ड) सिटी है बड़े बड़े दुकाने,आफिस और लम्बी लम्बी इमारते है और वहा के रास्ते काफी ऊपर नीचे है जैसे पहाड़ में चढ़ाएं और ढलान होती है और हम पहुंच गए विशाल बंगाल की खाड़ी के किनारे दोपहर का समय था गर्मी थी और भीड़ भी नही थी हमने सोचा आस पास कोई अच्छा जगह होगी तो चला जाय तो हमे पता चला पास में कैलाशगिरी है शिव और पारवती की विशाल मूर्ती पहाड़ के ऊपर और वो बीच से दस मिनट की दूरी पर है और हमने बस पकड़ ली बस जैसे ही पहाड़ पे चढ़ने लगा वाह क्या नज़ारा है नीला समुन्दर ऊपर नीला आस्मां दोनों जुड़े जुड़े ऊपर से काफी अच्छा नज़ारा वाह उस सब दृश्य को कमरे में कैद कर लिया और ऊपर पहुँचते ही शिव और पारवती के विशाल मूर्ती काफी खूबसूरत लग रहा था और थोड़ा आगे जाओ तो एक ट्रैन जो पहाड़ के चक्कर काटता है और वह ट्रैन पहाड़ के ऊपर और नज़ारा तो माशा अल्लाह क्या खूबसूरत और आगे बढ़ो तो बहुत सारे दुकाने वहाँ हमने काफी खरीदारी की और आगे जाओ तो बच्चो के खलने क लिए काफी सारे झूले थे और बगल में बड़ा सा गार्डन अगर परिवार के साथ आओ तो मज़ा अजय और ऊपर मज़ा तो और आएगा आगरा कोई प्रेमी जोड़ा वहा घूमे.
वहा काफी फोटो खिंचवाए और शाम ढलते ही नीचे उत्तर कर समुन्दर में काफी मस्ती की और सीधा रात को स्टेशन पहुंच कर वहाँ कमरा ले कर आराम किया. अगले दिन और भी कई जगह घूमे फिर शाम को फिर कैलाशगिरी आये बहुत ही मनमोहक और आकर्षक जगह है यही सोच रहा हु अगली बार कभी मौक़ा मिलेगा विजाग जाने का तो कैलशगिरिर जरूर जाऊंगा दिल जीत लिया हमारा उसने. अगर आपलोग भी कभी घूमने विशाखापट्टनम जाय तो कैलाशगिरी जरूर जाएँ.
कुछ तस्वीरें वहाँ की :
वहाँ पहुचने के बाद पता चला मंदिर पहाड़ के ऊपर है और वहाँ के लिए हुमलोगो ने बस पकड़ ली और ऊपर चढ़ गए ऊपर पहुँचते ही ऐसा लगा हम पहाड़ पे नही किसिस छोटे से शेहेर में है और काफी साफ़ सुथरा हम समय खर्च न करते हुए मंदिर में भगवान का दर्शन कर आये और नीचे सीढ़ी से उत्तर गए और एक होटल में जा कर नाश्ता कर लिया वहा इडली डोसा काफी मसहूर है इसलिए हुमलोगो ने वही आर्डर किया और जैम कर खाए फिर वहाँ से हम बस स्टॉप पर गए और बीच जाने वाली बस पकड़ ली थोड़ा समुन्दर में मजे करने को और बस निकल पड़ी पूरा शहर के बीच से निकली काफी विकसित(डेवलप्ड) सिटी है बड़े बड़े दुकाने,आफिस और लम्बी लम्बी इमारते है और वहा के रास्ते काफी ऊपर नीचे है जैसे पहाड़ में चढ़ाएं और ढलान होती है और हम पहुंच गए विशाल बंगाल की खाड़ी के किनारे दोपहर का समय था गर्मी थी और भीड़ भी नही थी हमने सोचा आस पास कोई अच्छा जगह होगी तो चला जाय तो हमे पता चला पास में कैलाशगिरी है शिव और पारवती की विशाल मूर्ती पहाड़ के ऊपर और वो बीच से दस मिनट की दूरी पर है और हमने बस पकड़ ली बस जैसे ही पहाड़ पे चढ़ने लगा वाह क्या नज़ारा है नीला समुन्दर ऊपर नीला आस्मां दोनों जुड़े जुड़े ऊपर से काफी अच्छा नज़ारा वाह उस सब दृश्य को कमरे में कैद कर लिया और ऊपर पहुँचते ही शिव और पारवती के विशाल मूर्ती काफी खूबसूरत लग रहा था और थोड़ा आगे जाओ तो एक ट्रैन जो पहाड़ के चक्कर काटता है और वह ट्रैन पहाड़ के ऊपर और नज़ारा तो माशा अल्लाह क्या खूबसूरत और आगे बढ़ो तो बहुत सारे दुकाने वहाँ हमने काफी खरीदारी की और आगे जाओ तो बच्चो के खलने क लिए काफी सारे झूले थे और बगल में बड़ा सा गार्डन अगर परिवार के साथ आओ तो मज़ा अजय और ऊपर मज़ा तो और आएगा आगरा कोई प्रेमी जोड़ा वहा घूमे.
वहा काफी फोटो खिंचवाए और शाम ढलते ही नीचे उत्तर कर समुन्दर में काफी मस्ती की और सीधा रात को स्टेशन पहुंच कर वहाँ कमरा ले कर आराम किया. अगले दिन और भी कई जगह घूमे फिर शाम को फिर कैलाशगिरी आये बहुत ही मनमोहक और आकर्षक जगह है यही सोच रहा हु अगली बार कभी मौक़ा मिलेगा विजाग जाने का तो कैलशगिरिर जरूर जाऊंगा दिल जीत लिया हमारा उसने. अगर आपलोग भी कभी घूमने विशाखापट्टनम जाय तो कैलाशगिरी जरूर जाएँ.
कुछ तस्वीरें वहाँ की :
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