मैं पुणे में आम करता हु मेरे ऑफिस की छुट्टी शनिवार और रविवार दो दिन रहती है मेरे कुछ दोस्त मुंबई में काम करते है महीने एक दो बार हम एक साथ पार्टी करते है. और इस हफ्ते हमने एक जूट हो कर मिलने का प्लान बनाया. फिर क्या शुक्रवार को ऑफिस से छुट्टी मिलते ही मैनी साड़ी तैयारी शुरू करदी शनिवार सुबह बस से निकलना था मुझे और रविवार शाम तक मुझे वापिस भी आना था क्युकी अगले दिन सुबह फिर ऑफिस में काम भी होगा. शनिवार सुबह होते ही में मुंबई के लिए निकल पड़ा ३ घंटे में मैं मुंबई पहुंच गया फिर सारे दोस्तों के साथ खूब मौज की घूमे फिरे खाये पिए खूब मौज किये रात को काफी शराब पीली थी हमलोगो ने फिर कब हमारी आँख लग गयी पता ही नहीं चला. सुबह आँख खुली तो देखा की दोपहर के 1 से ज्यादा समय हो चूका था मैं ये देखकर चौंक गया और जल्दी जल्दी उठा क्युकी मुझे अपना बस पकड़ना था और किसिस भी हाल मैं शाम तह पुणे वापिस पहुंचना था इसलिए मई बिना कुछ नहाए मुंह धूए निकल पड़ा बस स्टैंड की ओर. मैं बस स्टैंड थोड़ा मुंह धोया फिर थोड़ी चाय पि बस वह रजि थी ओर पांच मिनट में छूटने वाली थी मई तुरंत टिकट लेकर बस मई बैठ गया.
थोड़ी देर बाद पेट में कुछ अजीब सी हड़कम्प महसूस हुई रात को बहुत कुछ खा लिया ओर अभी उसका असर नज़र आ रहा है मैं सोच में था की उतरा जाय आया नहीं तभी बस छूट गयी ओर मुझे बस रोकने शर्म महसूस होने लगा इसलिए मैं शांत रहा ओर सोचा 3 घंटे की तो बात ही खुद को तो सम्भाल है लूँगा धीरे धीरे मैे अपने आप को सम्भाला बस आराम से जा रही थी ओर मेरे पेट में हड़कम्प मचना काम हुआ ओर थोड़ी देर बाद काफी शान्ति महसूस हुई मैंने फिर चैन से सांस ली पर मुझे ये नहीं पता था की वो तूफ़ान के आने से पहले की शान्ति है. थोड़ी देर बाद अचानक से बस स्पीड ब्रेकर के ऊपर से उछली ओर मैं थोड़ा डगमगाया फिर पेट में अज्जिब्बो गईब से संकेत महसूस हो रहे थे फिर मैं अपना ध्यान भटकाने के लिए गान सुनने लगा ईसिस बहाने अपने आप को सम्भाल रहा था पर मेरा पेट नहीं मान रहा था क्या करे फिर मैंने कुछ आस से घडी की तरफ देखा अभी तो सिर्फ एक है घंटा हुआ है बस निकले ओर अभी दो घंटे का सफर बाकी ही फिर भी मैंने हार नहीं मानी. आधे घंटे के बाद कुछ ज़ोरदार बम फटने की आवाज सुनाई पड़ी सब यात्री घबर गए तभी कंडक्टर ने आकर बताया की बस का टायर फट गया है कम से कम पंद्रह से बीस मिनट का समय लगेगा. मेरी हालत तो ये समय सुनकर है गम्भी हो गयी पेट काफी दुःख रहा था जल्दी से टॉयलेट जाना ही मुझे मैंने थोड़ा अपने आपको काबू में किया ओर शांत दिमाग से बैठा था .
फिरथोड़ी देर बाद में नज़र बाहर पड़ी देखा की काफी खुल जगह ही ओर थोड़ा जंगल जैसा इलाका ही ओर बहुत उतर के इधर उधर पेड़ों को पाई देने में व्यस्त थे मैंने सोचा की थोड़ी दूर जाकर में अपना पेट हल्का करलूं फिर में बहुत है मुश्किल से अपनी सीट से यथा ओर बाहर निकला ओर देखा थोड़ी दूर एक छोटा सा तालाब अहइ मेरी तो आँखें है भर आई फिर में धीरे धीरे उसकी तरफ जा रहा था की कंडक्टर ने शोर से आवाज लगाई की बस निकलने को तैयार ही वैसे भी बहुत देरी हो चुकी ही जल्दी से सब अपनी सीट पर बैठ जाएँ. मैं डर कर वापिस दौड़ा भाग अपनी सीट पर वापिस आकर बैठ गया. पेट काफी शोर से दिक् अहा था बहुत देर से रोक के रखा था अब रोक नहीं जारहा सहा नहीं जा रहा फिर मैंने अपने दोनों पैर ज़ोर जोर से हिलाने लगा. थोड़ी देर बाद कंडक्टर ने मेरी तरफ नज़र घुमाई देखा मेरा चेहरा पूरा पसीना से लथपथ हो गया है वो आफि घबरा गया ओर मेरे पास आकर धीरे से मुझे पुछा क्या हुआ सर आपकी तबियत ठीक नहीं लग रही पर मुझे कुछ सुनाई नहीं पद रही ऐसा लग रहा था बस जीवन का अंत होने वाल है कंडक्टर ने फिरसे पुछा मैंने उसके कान में अपनी समस्या बतायी फिर कंडक्टर ने बताया की बस ज्यादा दूर नहीं ही हम दस मिनट मई पहुंचने वाले है आप हार मत मानिए पुणे पहुंचते है मैं आपकी मदद करूंगा ये सुनकर मुझे थोड़ा सुकून मिला की दस मिनट की तो बात ही तीन घंटे से झील है चूका हूँ तो दस मिनट तो निकाल है लूंगा.
दस मिनट बाद हम पुणे पहुंच गए मई चलने की स्थिति में नहीं था कंडक्टर ने मुझे गोद में लिया ओर टॉयलेट तक ले गया फिर में टॉयलेट होकर वापिस आया वाह क्या अनुभव हो रहा है ऐसा लग रहा है की पुनर्जन्म लिया हूँ.फिर मैंने कंडक्टर अपनी मदद करने के लिए शुक्रियाअदा किया फि निकल पड़ा अपने घर को ओर.
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