Bhoot Bungalow (In Hindi)


ओडिशा के गाँव में एक बंगला है जो एकदम समुन्दर के किनारे पे स्थित है और वहा के लोग कहते है की उस बंगले में भूतों का साया है हर रात को वाह से काफी लोगो के रोने की आवाज सुनाई पड़ती है और अफवाह ये भी है की वहा पे अब तक पचास से ज्यादा लोग खोजबीन के लिए रात को गए और आज तक नहीं लौटे. में और मेरे दोस्तों को इस बारे में पता चला और हम ठहरे जबांज इन सब में हमें बहुत मज़ा आता है इसलिए कॉलेज की गर्मी छुट्टी में घर वालो को पूरी जारहे इस बहने से वहाँ पहुंच गए और जाते ही बंगले के पास पहुंचे वाह क्या खूबसूरत बँगला था वो एकदम सामने समुन्दर ठंडी ठंडी हवा चल रही थी. हमने गाँव वालो से पुछा की वो बांग्ला बंद क्यों है तो उन्होंने बताया की उस बंगले में जो जमींदार थे उन्होंने अपनी सारी परिवार के साथ उस बंगले में फ़ासी लगा ली तब से उनलोगो की आत्मा उस बंगले में घूम रही है और किसिस को भी वह पे रहने नहीं दे रही. हम सबको जहानी बहुत पसंद आई और सोच में थे इस जमाने में भी कहा भूत प्रेत ये सब मन भदन्त कहानी है इस तकनकी ज़माने में ये सब नहीं हो सकता ये सोचते हुए हम वहा से चले गए. क्युकी रात को हमे इन गाँव वालो को बिना बताये उस बंगले में जाना है नहीं तो वो लोग हमे ये करने के लिए रोकने की कोशिश करेंगे.


शाम के 7 बज गए थोड़ी सी रौशनी कम हुई और हम चोरी छुपे उस बंगले में घुस गए हम सब तैयारी के साथ आये थे सब लाइट टोर्च सब खाने के सामान सब लाये थे. बंगले में थोड़ी सी साफ़ सफाई की और पूरा बांग्ला घूमने लगे ऊपर चैट से समंदर का क्या नज़ारा था ठंडी हवा चल रही थी ऐसा लग रहा था जैसे स्वर्ग में हो. हमने पूरा बांग्ला चयन मार हमे कुछ डरावनी चीज़ कुछ उस जैसी नज़र नहीं आई बस अगला भुत गन्दा था साफ़ सफाई करने पर बहुत खूबसूरत लगेगा खामखा जाओ वाले दर रहे है. फिर हमें जमींदार का कमरा मिला उसके अंदर गए तो उनकी तस्वीर थी उनके परिवार के साथ. हमने तस्वीर साफ़ की और उसे उसी स्थान पे रख दिया और हमे बहुत बुरा लगा की सबने खुदखुशी कर ली हमें उसका कारण नहीं पता था पर सोचा कुछ बहुत ही बड़ा कारण रहा होगा जिसकी वजह से इन सब ने ये कदम उठाया.

अब समय 8:३० हो रहा था हम सबने सोचा की खान खा लिया जाय हमने हॉल में लकड़ी इकठ्ठा कर्ली और आग जला के कम्प जैसा माहौल बनाया बहुत मज़ा रहा था. तभी बंगले के बाहर कुत्तो के भोंकने की आवाज सुनाई पड़ी बहुत जोर जोर से भौंक रहे थे हममे से एक दोस्त जो बहुत डरपोक था वो बोल रहा था की कुत्तो को और बाकी जानवरों को आत्मा नज़र आती है इसलिए वो भोंकते है हम सब ये सुनकर बहुत जोर जोर से हसने लगे.तभी एकदम जोर से कुछ गिरने की आवाज़ आई हम सब दौड़े दौड़े ऊपर गए और ज़मींदार के कमरे के अंदर गए तो देखा की उनकी फोटो जो हमने साफ़ की थी फिर से गन्दी लटकी हुई है और कुछ एक कुर्सी वह टूटी पड़ी हुई थी शायद कोई बिल्ली होगी जो चढ़ते वक़्त ये कुर्सी वहा से फिसल गया और कुर्सी गिर गया होगा उसके तुरंत बाद एक बहुत बड़ा धमाका जैसा आवाज आया हम दौड़े दौड़े नीचे पहुंचे तो देखा हमने जो लकड़ी जला राखी थी वो बुझ कर इधर फैला पड़ा हुआ था शायद तेज हवा चलने की वजह से ये हुआ हो ऐसा सोच कर हम पूरा साफ़ करने लग गए .

रात के अब 9:30 बज चुके थे हमने सोचा आज के रात नहीं सोएंगे हम बहुत ही उत्तेजित थे की क्या सचमुच इस बंगले में भूत है की नहीं. हमारा डरपोक दोस्त सो गया था उसने कहा की अगर भूत दिखे तो उसे उठा दे ताकि सब मिल के भाग सके यहाँ से. हम आपस में भूतो की कहानिया सुनाने लगे बहुत मज़ा रहा था तभी महल के बाहर से कोई जोर जोर से चीख रहा था हम सब बाहर गए तो देखा की जाओ का एक आदमी था हमे दांत रहा था की बिना इज़ाज़त लिए वो लोग बंगले में कैसे घुस गए काफी नाराज़ था वो हमसब ने उन्हें बहुत समझाया वो नहीं मान रहे थे हमने काफी मिन्नत की तो उन्होंने कहा की वो लोग गाँव के मुखिया के पास जाकर लिखित में दे की जाओ की कोई जिम्मेदारी नहीं अगर कोई अनहोनी घटना उनके साथ घटे हमसब मान गए इसके लिए और मुखिया के पास जाकर कहा की हम पांचो की खुद की इच्छा से बंगले में गए कोई जोर जबरदस्ती नहीं किया उस पत्र को पढ़ मुखिया दर गए उन्होंने कहा इसमें तो पांच लिखा है पर तुम तो चार ही लोग हो. यह सुनकर हम सब भौचक्के रह गए की हमने एक को अकेले बंगले में छोड़ दिया वो सो रहा था हम सब दौड़े भागे बंगले में गए क्युकी वो बहुत डरपोक था हमने पत्र मुखिया को दे भागे भाई बंगले में गए तो देखा की वह पे वो नहीं था हम बहुत दर गए और ज़ोर जोर से उसे पुकारने लगे तभी पीछे एक का हाथ मुझ पर आया वो वही था उसने कहा की वो शौचालय गया था हम सब ने चैन की सास ली और फिर अपनी बाते करने लगे.

रात के 1 बज गया था हम सब की आँख कब लग गयी पता ही नहीं चला तभी किसिस की रोने की आवाज सुनाई पड़ी मुझे मई उठा तो कोई औरत रो रही थी पर वो दिखाई नहीं पद रही मुझे लगा मेरा वेहम है और में फिर से सो गया थोड़ी देर बाद फर से किसी औरत के रोने की आवाज आई में तुरंत उठा अब मुझे साफ़ साफ़ सुनाई पद रहा था की कोई रो रहा है मुझे थोड़ा सा दर लगने लगा मैंने अपने दोस्तों को उठाया की कोई रो रहा है सब उठे उन सब को भी रोने की आवाज सुनाई पड़ी पर वो आ कहा से रही है ये नहीं समझ में आ रहा. थोड़ी देर बाद और दो तीन लगा के रोने की आवाज सुनाई पड़ी हमने सोचा की जाओ वाले सही कह रहे थे ये जमींदार और उनके परिवार वालो की रोने की आवाज ही है पर दिल नहीं मान रहा था भूत प्रेत कुछ नहीं होता. मैंने जोर से चिल्लाया कोण है वह पे कोण रो रहा है पर कोई जवाब नहीं वो रोंर की आवाज नहीं रुक रही मेरे सारे दोस्त दर गए और मुझे जोर से पकड़ लिया और कहा मत चिल्ला कही वो लोग हमारे पास न आजाय.

रात के अब 2:30 बज चुके थे रोने की आवाज अब नहीं आ रही मेरे कुछ दोस्तों ने कहा की यहाँ सचमुच भूत है चल हमलोग यहाँ से भाग चलते है अभी कोई आवाज भी नहीं आरही मुझे भी दर लग रहा था मैंने कहा सब लोग एक जुट होकर भागेंगे कोई आगे पीछे नहीं रहेगा और एक दुसरे हाथ पकड़ के भागेंगे हम इस बारे में बात कर रहे ही थे की जोर से कुछ सामान गिरने की आवाज आई ऊपर से हममे से किसिस को भी हिम्मत नहीं हुई ऊपर जाने की हम दर गए भागे दौड़े गए दरवाजे की ओर दरवाजा खुल नहीं रहा था बहुत डर लग रहा है हमने जोर से दरवाले को धक्का मारा दरवआ खुला ओर हम सामने देख कर चौक गए की हम तो जमींदार के कमरे में पहुंच गए ओर उनका फोटो एकदम साफ़ सुथरा जैसे पहले था हालत खराब सबकी पसीने छूट रहे थे ओर बस यही प्रार्थना कर रहे थे की एक बार यहाँ से निकल जाय फिर कभी ऐसी जगह पर दुबारा नहीं आएंगे. हमने सोचा की चैट की ओर से बाहर कूद जायंगे फिर हम चैट की तरफ भागे फिर नीचे कूदने में डर लग रहा था.

हम सबने सोचा की एक दुसरे का हाथ पकड़ के कूद जाएंगे हम सब अपना हाथ पकड़ लिया तभी हमारे पीछे कोई हमारा नाम पुकार रहा है मैंने कहा सबको पीछे मत देखना कोई ओर ज़ोर से पुकार रहा है मैंने भी जोर से कहा पीछे मत देखना तभी कोई पीछे तेजी से आकर हमसबको जोरदार धक्का मारता है ओर ताहि मेरी नींद खुल जाती है. सुबह हो चुकी थी सारे दोस्त उठ चुके थे बाहर देखा तो सुरुदय कर रहा है ओर नीला समंदर कितना खूबसूरत लग रहा है .
मई मन ही मन मुस्कुराने लग गया की कोई भूत प्रेत नहीं होते पूरे गाँव वाले भ्रमित है ये सोचकर हम वह से निकल गए.
घर पहुंचते ही में नहाने निकल तो मेरी माँ ने मुझे कहा की तेरी पीठ पर ये क्या अजीब सा निशान है में उसे देख भोचक्का रह गया ये वही निशान है जब उसने मेरे सपने सपने में मुझे पीछे से धक्का लगने के वक़्त लग गया था. उसी समय स में यही सोच पे हूँ की क्या सचमच कोई ऐसी शक्ति होती है या ये भी भ्रम है उसके बाद से मई कभी वो जाओ नहीं गया.

यह कहानी सच्ची घटना पर आधारित है जो की अभय पॉल जो राउरकेला में रहता है उसके साथ घट चुकी थी.


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