शहर से तकरीबन १०० किलोमीटर दूर छोटा सा टाउन है ' पेड़ीवाल ' जहा पे आरज़ू अपने परिवार वालों के साथ रहती है . आरज़ू अपनी डिग्री खत्म कर चुकी थी और उसके घर वाले जल्द से जल्द उसकी शादी कराना चाहते थे . आरज़ू अपने घर वालो को एक ही बात बोलती थी " मैं अभी सिर्फ २२ की हु और मुझे कुछ बनना है उसके बाद ही शादी की सोच सकती हु " ऐसा बोल के अपने घर वालो को शांत करती थी . एक दिन पेड़ीवाल में एक कविताओं की प्रतियोगिता का आयोजन हुआ और काफी बड़े इनाम थे जीतने वालो के लिए आरज़ू को जैसे ही ये बात पता चले उसने उसमे भाग लेने की सोची ताकि अपनी काबिलियत को सबको बता सके . और आरज़ू अपनी कला को बिखेरते हुए सभी राउंड अव्वल नंबर से जीती और उस प्रतियोगिता में पहला स्थान हासिल किया . काफी हौसलहाफजाई हुई और काफी तारीफें हुई आरज़ू की और अगले दिन पेपर में भी छापा उसके आकर्षक लेखिका की. आरज़ज़ो काफी खुश थी की उसकी काबिलियत पूरा पेड़ीवाल जान गया और वो खुद पर काफी गर्व महसूस कर रही थी . आरज़ू के घर वाले भी बहुत खुश थे और उन्होंने भी अपनी बेटी की टैलेंट से काफी हैरान और अनजान थे पर आखिर में काफी खुश .
अंशु भी पेड़ीवाल की रहनेवाली थी वो और आरज़ू बचपन से ही काफी अच्छे दोस्त थे अंशु के पिताजी का २ साल पहले शहर में ट्रांसफर हुआ था पर अंशु की आरज़ू से बातचीत होती रहती है . जब अंशु को आरज़ू के प्रतियोगिता जीतने की खबर पता चली वो फूले नहीं समा रही थी और तुरंत उसने आरज़ू को फोन पे बधाई दी . दोनों के बीच जब बातचीत चल रही थी तो अंशु को सुझाव आया की क्यों ना आरज़ू को उनके आलम ग्रुप में एक अतिरिक्त लेखक के रूप में जोड़ा जाय जिसकी उनको सख्त जरूरत थी और उसने आरज़ू को वो बात बताई . आरज़ू काफी खुश हुई पर थोड़ी सा डर गयी की अकेली वो शहर में कैसे तभी अंशु ने उसे धैर्य दिया और कहा की वो उसके साथ हॉस्टल में रुक सकती है और वो उसका पूरा ध्यान देगी . ये बात सुनकर आरज़ू काफी खुश हुई और अंशु ने भी अपनी ग्रुप आलम के बारे में बताया और वह के माहौल के बारे में बताया और उनकी अच्छे लेखक की ज़रुरत के बारे में भी बताया .आरज़ू काफी इम्प्रेस हुई ये सब सुनकर और उसने सोचा की उसका टैलेंट अब शहर में भी दिखाया जाय जो की उसकी दिली ख्वाहिश थी .पर आरज़ू का अगला काम उस के घर वालो को मनाना था जिसके बारे में वो काफी सोच रही है की कैसे अपने घर वालो को समझाया जाय.
एक दिन जब खाने पे थे तब आरज़ू ने हिम्मत कर के शहर जाने की बात करदी और डर से उसने अपनी आँखें बंद करली और कुछ देर काफी सन्नाटा उसने अपनी आँखें खोली तो उसकी माँ पापा है पड़े उन्होंने कहा " हम तुम्हारे टैलेंट को जान गए है और तुम्हे इज़ाज़त देते है पर तुम हमारी इकलोती बेटी हो थोड़ा संभाल के रहना वहां पर . आरज़ू की ख़ुशी से आँखें भर आई और उसने अपने माँ पापा को गले से लगा लिया और फिर अपना सामान पैक करना शुरू कर दिया . अगले दिन सुबह ६ बजे बस थी और शाम तक शहर पंहुचा देगी अंशु ने उनके ग्रुप के कुछ अच्छे गीत आरज़ू को कंप्यूटर ए माध्यम से भेज दिया ताकि सफर में वो उनको सुनते सुनते आये और उनके आलम के धुन के बारे में जाने .और इसी तरह आरज़ू निकल पडी शहर को गाने सुनते सुनते वो काफी प्रभावित हिउ उनके धुन और राजा के आवाज से उसे प्यार ही होगया उसने कितना सुरीला गाय और काफी अच्छी आवाजे है उसकी साथ में छाया की आवाज भी आफि अच्छी है . गाना सुनते ही आरज़ू को राजा को मिलने की इच्छा बढ़ती गयी और कुछ ही घंटों में वो शहर पहुंच जाएगी.
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अंशु भी पेड़ीवाल की रहनेवाली थी वो और आरज़ू बचपन से ही काफी अच्छे दोस्त थे अंशु के पिताजी का २ साल पहले शहर में ट्रांसफर हुआ था पर अंशु की आरज़ू से बातचीत होती रहती है . जब अंशु को आरज़ू के प्रतियोगिता जीतने की खबर पता चली वो फूले नहीं समा रही थी और तुरंत उसने आरज़ू को फोन पे बधाई दी . दोनों के बीच जब बातचीत चल रही थी तो अंशु को सुझाव आया की क्यों ना आरज़ू को उनके आलम ग्रुप में एक अतिरिक्त लेखक के रूप में जोड़ा जाय जिसकी उनको सख्त जरूरत थी और उसने आरज़ू को वो बात बताई . आरज़ू काफी खुश हुई पर थोड़ी सा डर गयी की अकेली वो शहर में कैसे तभी अंशु ने उसे धैर्य दिया और कहा की वो उसके साथ हॉस्टल में रुक सकती है और वो उसका पूरा ध्यान देगी . ये बात सुनकर आरज़ू काफी खुश हुई और अंशु ने भी अपनी ग्रुप आलम के बारे में बताया और वह के माहौल के बारे में बताया और उनकी अच्छे लेखक की ज़रुरत के बारे में भी बताया .आरज़ू काफी इम्प्रेस हुई ये सब सुनकर और उसने सोचा की उसका टैलेंट अब शहर में भी दिखाया जाय जो की उसकी दिली ख्वाहिश थी .पर आरज़ू का अगला काम उस के घर वालो को मनाना था जिसके बारे में वो काफी सोच रही है की कैसे अपने घर वालो को समझाया जाय.
एक दिन जब खाने पे थे तब आरज़ू ने हिम्मत कर के शहर जाने की बात करदी और डर से उसने अपनी आँखें बंद करली और कुछ देर काफी सन्नाटा उसने अपनी आँखें खोली तो उसकी माँ पापा है पड़े उन्होंने कहा " हम तुम्हारे टैलेंट को जान गए है और तुम्हे इज़ाज़त देते है पर तुम हमारी इकलोती बेटी हो थोड़ा संभाल के रहना वहां पर . आरज़ू की ख़ुशी से आँखें भर आई और उसने अपने माँ पापा को गले से लगा लिया और फिर अपना सामान पैक करना शुरू कर दिया . अगले दिन सुबह ६ बजे बस थी और शाम तक शहर पंहुचा देगी अंशु ने उनके ग्रुप के कुछ अच्छे गीत आरज़ू को कंप्यूटर ए माध्यम से भेज दिया ताकि सफर में वो उनको सुनते सुनते आये और उनके आलम के धुन के बारे में जाने .और इसी तरह आरज़ू निकल पडी शहर को गाने सुनते सुनते वो काफी प्रभावित हिउ उनके धुन और राजा के आवाज से उसे प्यार ही होगया उसने कितना सुरीला गाय और काफी अच्छी आवाजे है उसकी साथ में छाया की आवाज भी आफि अच्छी है . गाना सुनते ही आरज़ू को राजा को मिलने की इच्छा बढ़ती गयी और कुछ ही घंटों में वो शहर पहुंच जाएगी.
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